Sakshi

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कश्मकश - ज़िंदगी की

                       भाग 1



 मुंबई शहर चकाचौंध करने वाली मायानगरी यहाँ लोग अपने सपने बुनने आते है । 
वहीं एक अवार्ड शो का सीन-दो व्यक्ति मंच पर खड़े शो होस्ट कर रहे है। 
दिस अवार्ड गोज टू अवनि मिश्रा 
गाय'ज पुट योर हैंड टू -गेदर एंड वेलकम अवनि। 
होस्ट- कम ओन स्टेज अवनि। 
अवनि स्टेज पर आती है और अवार्ड लेकर सबको थैंक यू बोल कर नीचे आजाती है। 
शो खत्म होने पर शाम को उसके साथ के सभी उसके लिए पार्टी रखते है जिसमें बड़ी बड़ी हस्ती आती है। 
पार्टी के बाद वो अपने फ्लैट में आती है और सीधे रूम में जाकर एक बड़े से पोर्ट्रेट के आगे खड़े होकर वो उसको निहार रही होती है वो पोर्ट्रेट उसकी नानी और नानु का होता है और वो खो जाती है। 

फ्लैशबैक-
एक छोटा सा घर और उसमें एक रूम रूम में बेड जिस पर एक बच्ची सो रही होती है तभी कोई उसके पास आ कर सिर पर हाथ फेर कर उठाता है- 

अवनि उठ जा बेटा देख दिन चढ़ आया है और खिड़की के पर्दे खोल देती है जिससे सूरज की रोशनी सीधे उसके चेहरे पर पड़ रही है अवनि उम्म्म  करके मुँह फेर कर सो जाती है और कहती है नानी बस पांच मिनट और सोने दो ना। 

नानी- पहले ही देर हो गयी बेटा स्कूल के लिए लेट हो जायेगी चल अब उठ। 

अवनि  मुँह बना कर उठ जाती है और कहती है क्या नानी सोने भी नहीं देती और तेश में आकर  पीछे के आंगन में बने बाथरूम में घुस जाती है। 

नानी- ये नखरे किसको दिखा रही है अवनि (गुस्से में) 
            अपनी माँ को दिखाती। 
        
अवनि बाथरूम से निकल कर सीधे पीछे से गले लगा लेती है जो अभी घुसी ही थी और नानी की बात सुन कर बाहर आ जाती है। 

अवनि- नानी आई एम सॉरी! प्लीज ऐसा मत बोलो ना आप और नानु ही तो है जो मेरे नखरे सहते हो ( मासूम सी शक्ल बना कर बोलती है) 
नानी -ठीक है अब जा नहा ले। 
अवनि नहा कर आती है और स्कूल के लिए तैयार होकर नाश्ता कर के चली जाती है। 
उसके जाने के बाद शेखर (अवनि के नानु) नानी से कहते हैं- क्यों उस बच्ची को बार- बार उस औरत का जिक्र करके परेशान करती हो देखा नहीं उदास हो गयी। अनिता (नानी) - क्या करूँ बेटी है इतनी आसानी से भूल तो नहीं सकती और अवनि जब भी ऐसे नखरे दिखाती है तो उसकी और याद आती है कैसे वो भी ऐसे ही सुबह उठने में नखरे करती और डरती हूँ कहीं अवनि भी..... कहते हुए रुक जाती है। 
शेखर- चिंता मत करो ऐसा कुछ नहीं होगा। 
अनिता- काश! 
     मैं तो बस यही चाहती हूँ अवनि खुश रहे। 
शेखर- हम है ना उसके साथ। 
अनिता- कब तक। 
              हमारे बाद उसका क्या होगा कोई नहीं है उसका अपना कहने को कैसे रहेगी। 
शेखर- जब ही तो कहता हूँ नाजुक कली मत बनाओ उसको खुद गिर कर सम्भलना सीखना होगा। 
अनिता- हाँ लेकिन बच्ची है वो अभी। 
 शेखर-अच्छा छोड़ो! मैं अपने लिए चाय बना रहा हूँ तुम पियोगी? 
अनिता- हाँ! 
         और दोनों मुस्कुरा देते है शेखर चाय बनाने चला जाता है। 




To be continue......
 

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8 Comments

Arman

26-Nov-2021 10:59 PM

Nice

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Fiza Tanvi

20-Nov-2021 01:13 PM

Good

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Simran Bhagat

17-Oct-2021 09:04 PM

Nyc

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